निपानी में बना गिरौदपुरी धाम की तर्ज पर जैतखाम

 गिरौदपुरी धाम की तर्ज पर निपानी के पावन ग्राम पर नव जैतखाम का उद्घाटन हुआ


*रोशन सार्वा 

निपानी (बालोद) 28/12/2023। अतिथियों ने बताया कि गुरु घासीदास जाति-व्यवस्था को घृणित मानव कर्म व समाज के लिए सबसे बड़ा कोढ़ मानते थे। उनका मानना था कि यह जाति व्यवस्था ही है जिसके कारण देशवासियों को सैकड़ों सालों तक गुलामी का जुआ अपने कंधों पर ढोना पड़ा। जब तक जाति व्यवस्था रूपी कोढ़ का खात्मा नहीं होगा, भेद-भाव खत्म नहीं होगा, तब तक देश में राष्ट्रीय एकता का सूरज उदय नहीं होगा। यह तभी संभव हो सकता है, जब देश में जाति-विहीन समाज की स्थापना हो।

वह कहते थे कि इसी जात-पांत ने देश में समाज को कभी एक नहीं होने दिया। इसके कारण ही अछूत समाज कभी सम्मान की जिंदगी नहीं जी सका। उन्होंने समकालीन सामाजिक परिस्थितियों के आंकलन से निष्कर्ष निकाला कि जब तक यह बहुसंख्यक जातियां बिखरी रहेंगी, उनका इसी तरह शोषण-उत्पीडऩ होता रहेगा और सम्मान की जिंदगी जीने की योग्यता हासिल नहीं कर सकेंगी।

वे यह जानते थे कि किस तरह मानव समाज का एक टुकड़ा अपने स्वार्थ के लिए पूरे समाज को भेड़-बकरियों की तरह हाँक रहा है और उन्हें आपस में लड़ाता रहता है। इसी जातिवाद की वजह से देश को सैकड़ों सालों तक विदेशियों और गुलामों का भी गुलाम रहने को विवश होना पड़ा। विसंगतियों से छुटकारा दिलाने उनमें स्वाभिमान पैदा करने व एकता स्थापित करने हेतु ही जाति-विहीन समाज की संरचना करने के लिए सतनामी धर्म की स्थापना की।

उद्घाटन अवसर पर जनपद अध्यक्ष श्रीमती प्रेमलता साहू जी के साथ मण्डल के अध्यक्ष प्रेम साहू के साथ महामंत्री दानेश्वर मिश्रा, बिरेन्द्र साहू जी, संतोष गजेंद्र जी, उपसरपंच भूपेंद्र चंद्राकर के साथ बृजेश साहू एवं समाज के प्रमुख दिलीप डहरे, राजू कुर्रे एवं काफी संख्या आम जन उपस्थित रहे।



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