मनरेगाकर्मी ‘‘बजट‘‘ से हुए निराश
रायपुर : विधानसभा में वित्तीय वर्ष 2025-26 का बजट वित्त मंत्री ओ.पी.चौधरी ने पेश किया। उक्त बजट में महात्मा गांधी नरेगा योजनांतर्गत कार्यरत कर्मियों के लिए कुछ भी नहीं किया गया है जिसके चलते प्रदेशभर के मनरेगाकर्मी बजट को निराशाजनक बता रहे हैं। अल्प वेतन में मनरेगा के अलावा प्रधानमंत्री आवास योजना के कार्यों के अलावा शासन के अन्य कार्य लिए जा रहे हैं, उसके बावजूद विगत 4 माह से वेतन नहीं मिल पाया है जिसके कारण कर्मचारी मानसिक रूप से पीड़ित एवं सरकार के प्रति आक्रोशित हैं ।साथ ही इनके सुरक्षित भविष्य के लिए कोई मानव संसाधन नीति भी सरकार लागू नहीं कर पाई है, जिसके लिए ये कर्मचारी लंबे समय से संघर्षरत हैं।
मनरेगा महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष श्री अजय क्षत्रि ने बताया कि भारतीय जनता पार्टी शासित मध्यप्रदेश, राजस्थान एवं बिहार जैसे विभिन्न राज्यों में मनरेगा कर्मियों के सेवा, सामाजिक सुरक्षा एवं वेतन भुगतान संबंधी एक अच्छी मानव संसाधन नीति लागू है। साथ ही केन्द्र सरकार से राशि प्राप्त न होने पर राज्य सरकार द्वारा पूल फण्ड के माध्यम से उक्त राज्यों में वेतन भुगतान कर केन्द्र से राशि प्राप्ति पश्चात् समायोजन कर लिया जाता है। परंतु वहीं छत्तीसगढ़ राज्य में भारतीय जनता पार्टी की ‘‘डबल ईंजन की सरकार‘‘ होने के उपरांत भी ये मनरेगा कर्मी अपनी सेवा, सामाजिक सुरक्षा एवं वेतन संबंधी सुविधाओं से वंचित है।
छत्तीसगढ़ शासन, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग की अध्यक्षता में ‘‘छ.ग. मनरेगा कर्मियों के नियमितीकरण की प्रक्रिया पूर्ण होने तक सामाजिक एवं सेवा सुरक्षा की दृष्टि से मानव संसाधन नीति लागू किये जाने हेतु‘‘ राज्य स्तरीय 8 सदस्यीय समिति का गठन किया गया है।
अत्यंत खेद का विषय है कि पूर्व कांग्रेस सरकार में जिस प्रकार पिछले 05 वर्षों में केवल कमिटी-कमिटी खेला गया, वही कार्य इस सुशासन की सरकार में भी किया जा रहा है। माह सितंबर 2024 में 15 दिवस के भीतर कमिटी का प्रतिवेदन प्रस्तुत करने व उसमे मनरेगा कर्मियों के सेवा/भविष्य सुरक्षा, सामाजिक सुरक्षा तथा अनुकंपा नियुक्ति जैसी महत्वपूर्ण बिंदुओं का समावेश करने हेतु छत्तीसगढ़ के सुशासन पुरूष माननीय मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय जी एवं आदरणीय उप मुख्यमंत्री/पंचायत मंत्री श्री विजय शर्मा जी के वादा का इंतजार करते अब ये मनरेगा कर्मी भी थक से गये हैं। कभी-कभी देर से मिला न्याय भी अन्याय सा प्रतीत होता है।
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अमीत मंडावी |
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