CYBER CRIME : E-Challan के नाम पर साइबर अपराधी लगा रहे चूना,

साइबर ठगों ने ढूंढा ठगी का नया तरीका। पहले मोबाइल में ऐप या APK फाइल डाउनलोड कराते हैं फिर UPI ऐप्स तक अनधिकृत पहुंच बना लेते हैं।


अज्ञात ऐप डाउनलोड करते ही UPI ऐप्स का नियंत्रण ठगों के हाथ में आ जाता है और वे आर्थिक ठगी को अंजाम दे देते हैं। इससे बचना है तो अज्ञात ऐप या फाइल कभी डाउनलोड न करें। साइबर ठगी की शिकायत साइबर क्राइम हेल्पलाइन 1930 या cybercrime.gov.in पर करें।

देश और दुनिया में साइबर ठगी के नए-नए मामले सामने आ रहे हैं जो हर किसी को हैरान करने के लिए काफी हैं. कभी नौकरी के नाम पर तो कभी बैंक और किसी स्कीम का झांसा देकर सीधे लोगों को बेवकूफ बनाने का काम करते हैं. कई बार तो साइबर ठग बैंक कर्मचारी बनकर कॉल करते हैं और जरूरी जानकर जुटाटकर खाते से ही पैसा उड़ा रहे हैं। 

अब साइबर फ्रॉड का एक नया तरीका सामने आया है. साइबर फ्रॉड अब E-Challan के नाम पर लोगों से ठगी करने का काम कर रहे है। इसलिए वाहन चालक सावधान रहें, क्योंकि कई लोगों को साइबर ठगों ने चपत लगा दिया है। बदलते जमाने में अगर कोई व्यक्ति यातायात नियमों की अनदेखी करता है तो कैमरे में कैद हो जाता है। इसके बाद खुद आपके मोबाइल नंबर चालान भरने का मौसेज आ जाता है। इस बीच लोगों को ठगने का साइबर अपराधियों ने नया तरीका निकाला है. वियतनाम में बैठा साइबर अपराधी भारत में लोगों के साथ ई-चालान के नाम से ठगी करता दिख रहा है। 

 E-Challan के नाम पर कैसे हो रही ठगी

मौजूदा समय में आपको बहुत ही चौकस रहने की जरूरत है, क्योंकि ऑनलाइन तरीके से लोगों को ठगी का शिकार बनाया जा रहा है. साइबर अपराधी लालच देकर अकाउंट से पैसे उड़ा रहे हैं. साइबर अपराधी लोगों को फेक ई - चालान का डर दिखाकर शिकार बनाने का काम कर रहे हैं। 

इसे लेकर एक बड़ा खुलासा कर दिया गया है। एक रिपोर्ट में सामने आया कि वियतनाम में बैठा साइबर अपराधी गिरोह भारतीयों को E-Challan के नाम पर ठगी करने में लगा है। साइबर सिक्योरिटी फर्म CloudSEK ने हाल ही में एक रिपोर्ट जारी कर सबको हैरान कर दिया, जिसके साथ सावधानी बरतने की अपील की गई है। 

फर्म ने खुलासा करते हुए कहा कि वियतनाम में बैठा साइबर क्रिमिनल्स का ग्रुप भारतीय यूजर्स को निराशाना बना रहा है। देशवासियों को लूटने के इरादे से वह ई - चालान के फेक फेक मैसेज भेज रहे हैं, इस टाइप के मैसेज में एक लिंक रहता है। इस लिंक पर क्लिक करने से पीड़ित के मोबाइल पर Malicious App इंस्टॉल हो रहा है। 

जानिए गिरोह कैसे कर रहा काम?

साइबर अपराधियों का गिरोह बड़े ही अलग अंदाज में काम करता है. अपराधियों का गिरोह पहले मोबाइल पर यूजर्स को एक मैसेज भेजता है। यह मैसेज परिवहन सेवा या कर्नाटक पुलिस के नाम का इस्तेमाल करके भेजा जा रहा है। मसैजे में ट्रैफिक नियमों को तोड़ने की जानकारी होती होती है, जो पूरी तरह फेक है। 

इस मैसेज में फाइन के बारे में जानकारी दे जाती है, इस मैसेज में एक लिंक भी दिया होता है। यूजर्स जैसे ही इस लिंक पर क्लिक करते हैं, तो फिर विक्टिम के मोबाइल फोन में एक Malicious App इंस्टॉल होने का काम होता है, फिर यह ऐप काम करना शुरू करता है। 

इसमें सबसे पहले परमिशन गेन करता है। फिर फोन फोन कॉल, मैसेज आदि का एक्सेस लेने का काम करता है। यह ऐप डिफॉल्ट मैसेजिंग ऐप का एक्सेस करने का काम करता है। यह मैलवेयर, Wromba फैमिली का हिस्सा माना जाता है. इसमें 4400 डिवाइस से अधिक को इनफेक्टेड करने का काम कर चुका है। बाद में वह चोरी छिपे OTP का अधिकार प्राप्त कर लेता है, मैसेज से अन्य जरूरी डिटेल्स भी चोरी कर लेते हैं। इसके अलावा वे ई-कॉमर्स अकाउंट का भी एक्सेस ले लेता है।

कैसे बचें

  • किसी भी अज्ञात स्रोत से भेजे गए लिंक पर क्लिक करने से बचें।  
  • केवल गूगल प्ले स्टोर या अन्य आधिकारिक स्रोतों से ही ऐप डाउनलोड करें।  
  • "Unknown Sources" से इंस्टॉलेशन को डिसेबल करें।  
  • अपने मोबाइल पर ऐंटीवायरस ऐप इंस्टॉल करें।  
  • मेसेज किसी भी नंबर से आए पहले उसकी सत्यता, प्रामाणिकता की जांच करें।  
  • किसी भी स्थिति में फाइल को डाउन लोड नही करें

क्या करें

साइबर ठगी का शिकार होने की स्थिति में 1930 पर काल करे, www. cybercrime.gov.in पर रिपोर्ट करें, नजदीकी थाना अथवा साइबर सेल पर रिपोर्ट करें!

रोहित मालेकर, निरीक्षक : थाना सिविल लाइन (रायपुर)

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